स्थगित हुआ है ऑपरेशन सिंदूर, खत्म नहीं, ब्रह्मोस-आकाश मिसाइल का निर्माण होगा तेज, ड्रोन पर भी फोकस

हैदराबाद। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया है। भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार करके बता दिया है कि अगली बार आतंकी घटना होने पर क्या अंजाम होगा। इसके साथ ही भारत ने और मजबूत तैयारियों की शुरुआत कर दी है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस और आकाश मिसाइट सटीकी साबित हुई है। पाकिस्तान के बढ़े तनाव को देखते हुए भारत सरकार इन मिसाइल उत्पादन में तेजी ला रही है। हैदराबाद में निर्माता ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों के लिए महत्त्वपूर्ण प्रणालियों को जल्दी से जल्दी वितरित करने के लिए काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ड्रोन और ड्रोन रोधी तकनीक कंपनियों के साथ मिलकर अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। कमांडरों के पास कमजोरियों, खास तौर पर हवाई खतरों से निपटने के लिए खरीद अधिकार हैं।
पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, खत्म नहीं। भारत सरकार ने ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों के लिए महत्त्वपूर्ण सिस्टम और सबसिस्टम के निर्माताओं से कहा है कि वे ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ सीमा पर असहज शांति के बावजूद उत्पादन में तेजी लाएं। भारत की मिसाइल राजधानी हैदराबाद में स्थित रक्षा निर्माताओं का कहना है कि प्रमुख सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के आपूर्तिकर्ताओं से मिसाइल भंडार को बढ़ाने के लिए डिलीवरी में तेजी लाने के लिए कहा गया है। हैदराबाद में डीआरडीओ, भारत डायनेमिक्स (बीडीएल), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), अदानी एल्बिट एडवांस्ड सिस्टम्स, कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स (केआरएएस), एमटीएआर टेक्नोलॉजीज, एस्ट्रा माइक्रोवेव, अनंत टेक्नोलॉजीज, रघु वामसी, जेन टेक्नोलॉजीज, एसईसी इंडस्ट्रीज जैसे कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान हैं।
भारत बढ़ाएगा अपनी ताकत : आकाश और ब्रह्मोस के लिए महत्त्वपूर्ण उप-प्रणालियों की आपूर्ति करने वाली हैदराबाद की एक कंपनी के प्रोमोटर ने कहा कि हमें डिलीवरी में तेजी लाने के लिए वीकेंड में भी काम करने के लिए कहा गया है। हमारे पास रक्षा मंत्रालय से मिसाइलों के लिए एक बड़ा आपातकालीन खरीद आदेश था, लेकिन संघर्ष शुरू होने के बाद सरकार लगातार संपर्क में है। वीकेंड के आधार पर डिलीवरी के लिए कह रही है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी सभी ड्रोन और एंटी-ड्रोन तकनीक कंपनियों के संपर्क में हैं। ड्रोन तकनीक कंपनी के संस्थापक ने कहा कि वे क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सभी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। सभी कमांडरों को उपकरण खरीदने के अधिकार दिए गए हैं। अगले दो से तीन महीनों में हमें बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।